सोमवार, मार्च 11

प्रभु की महिमा

यह सभी जानते हैं की छोटी उम्र के बच्चे बहुत ही हठी होते हैं यदि वे किसी एक बात पर हठ करले तो वह अपनी बात मनवा कर ही मानते हैं| परन्तु जब यही हठ सच्चा और निस्वार्थ हो तो इस हठ के आगे प्रभु भी झुक जाते हैं|

एक छोटा सा बालक अक्सर अपने माता-पिता से परमात्मा से मिलने की जिद किया करता था। उसकी सिर्फ इतनी ही इच्छा थी की एक समय का भोजन वह परमात्मा के साथ मिलकर करे| और अपनी इसी हठ के कारण 1 दिन उसने अपने थैले में 5, 6 रोटियां रखीं और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़ा। चलते चलते वह नदी किनारे तक आ पंहुचा था और संध्या का समय भी हो गया।

Lord's Glory


उसने देखा नदी के तट पर 1 बुजुर्ग व्यक्ति बैठा हैं और ऐसा लग रहा था मनो जैसे वह बुजुर्ग उसी बच्चे के इन्तजार में वहां बैठा उसका रास्ता देख रहा हों।

वह नन्हा-सा बालक, उस बुजुर्ग व्यक्ति के पास जा कर बैठ गया और अपने थैले में से १ रोटी निकालकर खाने लगा। उस बालक ने अपना रोटी वाला उस हाथ बुजुर्ग व्यक्ति की ओर बढ़ाया और मुस्कुराने लगा, बुजुर्ग ने भी रोटी ले ली और खाने लगा। उस बुजुर्ग व्यक्ति के झुर्रियों वाले चेहरे पर एक अजीब सी ख़ुशी छा गई, उसकी आँखों से  ख़ुशी के आंसू छलकने लगे|

बच्चा बढ़ी ही मासूमियत से उस बुजुर्ग व्यक्ति को लगातार देखे जा रहा था, जब उस बुजुर्ग व्यक्ति ने रोटी खा ली तो बच्चे ने उन्हें एक और रोटी दे दी।

वह बुजुर्ग व्यक्ति अब बहुत खुश था। बच्चा भी बहुत खुश दिखाई दे रहा था। दोनों ने आपस में बहुत प्यार और स्नेह के पल बिताये। जब रात घिरने लगी तो बच्चा उस बुजुर्ग व्यक्ति से इजाज़त ले घर की ओर चलने लगा।
वह बार-बार पीछे मुड़ कर देखता, तो पाता की वह बुजुर्ग व्यक्ति भी उसी की ओर देख रहा था।
बच्चा घर पहुँचता हैं तो माँ ने अपने बेटे को आया देख जोर से गले से लगा लिया और चूमने लगी, बच्चा भी बहूत खुश था।

माँ ने अपने बच्चे को इतना खुश पहली बार देखा तो अपने बच्चे से उसकी ख़ुशी का कारण पूछा, बच्चे ने बताया- "माँ....आज मैंने परमात्मा को देखा उनके साथ बैठ कर रोटी खाई और बहुत सारी बातें भी की|" माँ आपको पता है उन्होंने मेरी रोटी भी खायी और भी मुझे ढेर सारा प्यार भी किया परन्तु माँ भगवान् बहुत वृद्ध हो गये हैं उनके चेहरे पर झुर्रिया दिखाई दे रही थी|

मैं आज सच में बहुत खुश हूँ….माँ
दूसरी तरफ बुजुर्ग व्यक्ति भी जब अपने गाँव पहूँचा तो गाव वालों ने देखा वह आज बहुत खुश हैं, तो एक ने उनसे उनके खुश होने का कारण पूछा?

बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया - "मैं पिछले 2 दिनों से नदी के तट पर अकेला भूखा बैठा था, किसी ने मुझ पर दया नहीं दिखाई परन्तु मेरा विश्वास था की मेरे प्रभु जरूर आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे।

और तुम्हे पता हैं आज मेरे प्रभु आए थे, उन्होंने बढे प्यार से मुझे रोटी खिलाई और वही मेरे साथ बैठ कर स्वयं भी रोटी खाई, प्रभु बहुत प्यार से मेरी और देखते और मुस्कुरा जाते, जाते समय उन्होंने मुझे गले भी लगाया| वह तो एक बहुत ही मासूम से बच्चे की तरह दिखते हैं।

सारांश:

असल में बात सिर्फ इतनी सी थी की दोनों के दिलों में परमात्मा के लिए जो प्यार और श्रद्धा थी, वो बहुत ही सच्ची थी। परमात्मा ने भी दोनों को, दोनों के लिये, दोनों में ही खुद (परमात्मा) को भेज दिया। जब मन परमात्मा की  भक्ति में रम जाता है तो हमे हर एक में वो ही नजर आने लगता हैं|


Tags: Lord's Glory, God's Grace, Stubbornness of a Child
Location: India

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