सोमवार, दिसंबर 24

हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र

बहुत से लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा के अध्ययन से शुरू होती है। पर क्या आप जानते हैं कि श्री हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है।

माना जाता है तुलसीदास ने चालीसा की रचना मानस से पूर्व की थी। हनुमान जी को गुरु बनाकर उन्होंने प्रभु श्रीराम को पाने की शुरुआत की।

अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे ही रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी के सूत्र को भी समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलना निश्चित हैं। 

हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई सर्वप्रथम चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई। 

हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं।

Management Formulae in Hanuman Chalisa



शुरुआत गुरु से…

हनुमान चालीसा की शुरुआत गुरु से हुई है…

श्रीगुरु चरन सरोज रज, 
निज मनु मुकुरु सुधारि।

अर्थात - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं।

गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता। गुरु ही आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं। 

इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करता हूं। आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी परन्तु माता-पिता को ही पहला गुरु ही कहा गया है। 

समझने वाली बात ये है कि गुरु यानी अपने से बड़ों का सम्मान करना जरूरी है। अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें।

ड्रेसअप का रखें ख्याल

कंचन बरन बिराज सुबेसा, 
कानन कुंडल कुंचित केसा।

अर्थात - आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं।

आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं। फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए। (First Impression is Last Impression)

अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, रहन-सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें।

सिर्फ डिग्री काम नहीं आती

बिद्यावान गुनी अति चातुर, 
राम काज करिबे को आतुर।

अर्थात - आप विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं। राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं।

आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है। लेकिन हनुमान चालीसा के अनुसार सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे। विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी। हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी।

अच्छे श्रोता (Listener) बनें

प्रभु चरित सुनिबे को रसिया, 
राम लखन सीता मन बसिया।

अर्थात - आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करते हैं। 

जो आपकी प्राथमिकता है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए। अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी भी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।

कहां, कैसे व्यवहार करना है ये ज्ञान जरूरी है

सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, 
बिकट रुप धरि लंक जरावा।

अर्थात - आपने अशोक वाटिका में सीता माता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए और लंका जलाते समय आपने बड़ा स्वरुप धारण किया।

कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है। जब वह सीता माता से अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर आकार के रूप में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया। 

अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है।

अच्छे सलाहकार बनें

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, 
लंकेस्वर भए सब जग जाना।

अर्थात - विभीषण ने आपकी सलाह मानी, वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है।

हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले। विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दी। विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए। किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है। सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है।

आत्मविश्वास की कमी ना हो

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, 
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।

अर्थात - राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है।

अगर आपमें खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल कार्य को आसानी से पूरा कर सकते हैं। 

आज के युवाओं में एक कमी ये भी है कि उनका भरोसा बहुत जल्दी टूट जाता है। प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास और धैर्य की कमी होना खतरनाक है। अपने आप पर और भक्तवत्सल हनुमान जी पूरा विश्वास रखे।


Tags: Management Formulae, Secrets in Hanuman Chalisa, Lord Hanuman
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