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रविवार, फ़रवरी 7

सुनहरा पक्षी

A Golden Bird

एक गांव में एक धनी व्यापारी रहता था | उसके पास धन तो बहुत था पर वह आलसी भी बहुत था | व्यापर के सभी कार्य उसने नौकरो पर छोड़ दिए थे और नौकर भी उसे आमदनी का पूरा हिस्सा नहीं देते थे | धीरे-धीरे उसका व्यापार मंदा होने लगा, अधिक आलस्य के कारण उस धनि व्यक्ति स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता था | एक दिन उस व्यापारी का बचपन का एक मित्र उसके घर आया | व्यापारी ने अपनी बीमारी के बारे में उसे बताया तो, मित्र ने कहा -"भाई, तुम्हारी बीमारी को दूर करने का एक उपाय है मेरे पास लेकिन उसके लिए तुम्हें सुबह जल्दी उठना पड़ेगा |" व्यापारी उत्सुकता से बोला - "मैं तैयार हूँ |" मित्र बोला - "प्रत्येक प्रभातवेला में एक सुनहरा पक्षी आता है, यदि तुम उसे देख लोगे तो तुम्हारे सभी समस्याएं दूर हो जाएँगी |" 


वह व्यापारी दूसरे दिन से ही सुबह जल्दी उठकर अपने खेतों की तरफ चल पड़ा | रास्ते में उसने देखा, उसका एक नौकर उसका सामान अपने घर ले जाने की तैयारी कर रहा था | मालिक को देखकर उसने अपना सामान वही छोड़ दिया और घर चला गया | अगले दिन व्यापारी ने देखा की उसका ग्वाला गाय का दूध निकालने के बाद दूध का बर्तन अपने घर की ओर ले जा रहा था | मालिक को देख वह भी दूध का बर्तन छोड़ भाग खड़ा हुआ | 


अब व्यापारी रोज सुबह उठकर उस सुनहरे-पक्षी की खोज में जाता तो सभी नौकर सचेत हो जाते, ठीक से काम करने लगते | दूध की अधिक मात्रा में बिक्री होने लगी, खेतों से भी पूरी उपज गोदामों में पहुंचने लगी, दुकान और गोदामों में होने वाली चोरी भी बंद हो गयी | अब उस व्यापारी को भी सुबह उठना अच्छा लगने लगा | 


एक दिन उसी मित्र के पुनः मिलने पर व्यापारी ने उस सुनहरे पक्षी के बारे में पूछा, तो मित्र ने हंसकर कहा - "कौन सा सुनहरा पक्षी?" मित्र के इस जवाब से वह व्यापारी एकदम से दंग रह गया | व्यापारी की उलझन को देखते हुए उसका मित्र उसे समझाता है कि तुम्हारे स्वास्थ्य और तुम्हारी उन्नति के रूप में वह सुनहरा पक्षी तुम्हें बहुत पहले ही मिल चुका हैं | 


सारांश: हम लोग भी इस तरह सुनहरे पक्षी की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं परन्तु हम कभी भी अपनी सेहत और अपने जीवन की बिल्कुल भी परवाह नहीं करते है, हम लोग सिर्फ पैसो के पीछे भागते रहते है | जीवनयापन के आज के इस भागदौड़ में हम जितना तकनीक के नजदीक हो रहे उतना ही सभी अपनी सेहत को हानि पंहुचा रहे और आलस्य जाते रहे है | 



Tags: Golden Bird, Life Coach, Life's Busy Schedule, Lazy Life, Healthy Life 

सोमवार, जनवरी 22

सच्चा उत्तराधिकारी

बहुत पुरानी बात हैं | एक गुरु को अपने उत्तराधिकारी की तलाश थी | वह अपने किसी योग्य शिष्य को दायित्व सौंपना चाहता था | वैसे तो उनके कई शिष्य थे, पर वह तय नहीं कर पा रहे थे की किसे अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करे | फिर उन्होंने उन सबकी एक परीक्षा लेने का निश्चय किया|


true heir, obedient disciple

गुरु जी ने अपने सभी शिष्यों को बुलाया और एक दीवार बनाने का निर्देश दिया | सभी शिष्य इस काम में जुट गए | दीवार बनकर तैयार भी हो गई, लेकिन गुरूजी ने उसे तोड़ देने का आदेश दिया | उन्होंने फिर से दीवार बनाने को कहा, दीवार फिर बनने लगी | गुरूजी ने फिर उसे तुडवा दिया | यह सिलसिला चलता रहा | धीरे-धीरे सभी शिष्य उकता गए और इस कार्य से किनारा करने लगे, परन्तु एक शिष्य चित्रभानु इस कार्य में जुटा रहा |

वह अकेले ही इस कार्य को करता रहा | बार-बार तोड़े जाने के बाद दीवार बनाने के काम से वह नहीं हटा | एक दिन गुरुजी उसके पास गए और बोले – ‘तुम्हारे सभी साथी काम छोड़ कर भाग गए, पर तुम अभी तक डटे हुए हो, ऐसा क्यों ?’


चित्रभानु हाथ जोड़कर बोला – ‘मै गुरू आज्ञा से पीछे कैसे हट सकता हूँ | मै तब तक इस कार्य को करता रहूँगा जब तक आप मना ना कर दे |’ गुरूजी बेहद प्रसन्न हुए, वह समझ गए की उनकी तलाश पूरी हुई | उन्होंने चित्रभानु को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए अपने सभी शिष्यों से कहा ‘संसार में सभी लोग ऊँची आकांक्षाए रखते हैं और सर्वोच्च पद पर पहुँचना चाहते हैं, मगर इसके लिए पात्रता भी जरुरी हैं | लोग आकांक्षा तो रखते है, पर पात्रता प्राप्त करने के लिए प्रयास नही करते या थोडा बहुत प्रयास करके पीछे हट जाते हैं | किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मात्र इच्छा ही नही दृढ़ता की भी आवश्यकता हैं | चित्रभानु में दृढ़ता हैं और धैर्य भी | ऐसा ही व्यक्ति मेरा सच्चा उत्तराधिकारी हो सकता हैं |’


Tags: True Heir, Diligence of Work, Obedient Disciple