सोमवार, जनवरी 22

सच्चा उत्तराधिकारी

बहुत पुरानी बात हैं | एक गुरु को अपने उत्तराधिकारी की तलाश थी | वह अपने किसी योग्य शिष्य को दायित्व सौंपना चाहता था | वैसे तो उनके कई शिष्य थे, पर वह तय नहीं कर पा रहे थे की किसे अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करे | फिर उन्होंने उन सबकी एक परीक्षा लेने का निश्चय किया|


true heir, obedient disciple

गुरु जी ने अपने सभी शिष्यों को बुलाया और एक दीवार बनाने का निर्देश दिया | सभी शिष्य इस काम में जुट गए | दीवार बनकर तैयार भी हो गई, लेकिन गुरूजी ने उसे तोड़ देने का आदेश दिया | उन्होंने फिर से दीवार बनाने को कहा, दीवार फिर बनने लगी | गुरूजी ने फिर उसे तुडवा दिया | यह सिलसिला चलता रहा | धीरे-धीरे सभी शिष्य उकता गए और इस कार्य से किनारा करने लगे, परन्तु एक शिष्य चित्रभानु इस कार्य में जुटा रहा |

वह अकेले ही इस कार्य को करता रहा | बार-बार तोड़े जाने के बाद दीवार बनाने के काम से वह नहीं हटा | एक दिन गुरुजी उसके पास गए और बोले – ‘तुम्हारे सभी साथी काम छोड़ कर भाग गए, पर तुम अभी तक डटे हुए हो, ऐसा क्यों ?’


चित्रभानु हाथ जोड़कर बोला – ‘मै गुरू आज्ञा से पीछे कैसे हट सकता हूँ | मै तब तक इस कार्य को करता रहूँगा जब तक आप मना ना कर दे |’ गुरूजी बेहद प्रसन्न हुए, वह समझ गए की उनकी तलाश पूरी हुई | उन्होंने चित्रभानु को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए अपने सभी शिष्यों से कहा ‘संसार में सभी लोग ऊँची आकांक्षाए रखते हैं और सर्वोच्च पद पर पहुँचना चाहते हैं, मगर इसके लिए पात्रता भी जरुरी हैं | लोग आकांक्षा तो रखते है, पर पात्रता प्राप्त करने के लिए प्रयास नही करते या थोडा बहुत प्रयास करके पीछे हट जाते हैं | किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मात्र इच्छा ही नही दृढ़ता की भी आवश्यकता हैं | चित्रभानु में दृढ़ता हैं और धैर्य भी | ऐसा ही व्यक्ति मेरा सच्चा उत्तराधिकारी हो सकता हैं |’


Tags: True Heir, Diligence of Work, Obedient Disciple

शुक्रवार, जनवरी 12

विश्वास की शक्ति

एक बार नारदजी एक पर्वत से गुजर रहे थे | अचानक उन्होंने देखा कि एक विशाल वटवृक्ष के नीचे एक तपस्वी तप कर रहा हैं | उनके दिव्य प्रभाव से वह जाग गया और नारदजी को प्रणाम करके पुछा कि उसे प्रभु के दर्शन कब होंगे |

power of faith

शनिवार, जनवरी 6

वीरो के प्रति श्रद्धा

एक बार प्रिंस ऑफ़ वेल्स एडवर्ड अष्टम प्रथम विश्वयुद्ध में घायल कैदियो कों देखने गए | एक निजी अस्पताल में उनका इलाज हो रहा था | वहा तैनात सैनिक अधिकारी और अस्पताल के अधिकारियो ने घायल सैनिको से उनकी भेंट करवाई | अधिकारियो ने जब कार्यक्रम पूरा होने की बात कही, तब प्रिंस ने कहा – ‘आपने तो कहा था की 36 सैनिक घायल है मगर यहाँ तो 29 ही दिखाए दिए | बाकि सैनिक कहा हैं ?’

अधिकारियो ने कहा – ‘सर अन्य सैनिक इसी अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन उनकी हालत नाजुक हैं | उनके शरीर पर जगह जगह चोटे आई हुई हैं| आप उन्हें देखे वे ऐसी स्थिति में नहीं हैं |’


reverence for real heroes


अधिकारियो की बात सुनकर प्रिंस बोले – ‘जिन सैनिको ने देश क लिए इतना बड़ा बलिदान दिया, क्या मै उनसे सिर्फ इसीलिए नहीं मिलू की वे बुरी तरह घायल हैं ?’ उनसे तो मुझे सबसे पहले मुलाकात करनी चाहिए थी |

अधिकारियो के पास कोई दूसरा विकल्प ना था | उन्हें प्रिंस कों घायलों से मिलाने ले जाना पड़ा | प्रिंस ने सबसे बातचीत कर उनका दुःख बांटने की कोशिश की | उस विभाग का दौरा खत्म हुआ तो, अधिकारी उन्हें अस्पताल से बाहर ले आए | प्रिंस अपनी गाड़ी में बैठने ही वाले थे की अचानक उन्होंने पुछा – ‘यह तो 6 ही सैनिक हुए सांतवा कहा हैं ?’

एक वरिष्ठ अधिकारी बोला – ‘सर उस सैनिक की हालत बहुत ख़राब हैं | उसका पूरा चेहरा ख़राब हैं, सीना फट गया हैं, आप उसे देख न सकेंगे|’

‘मैं उसे मिले बगैर यहाँ से नहीं जाऊंगा |’ प्रिंस ने गाड़ी से उतरते हुए कहा |

अधिकारियो ने बहुत कहा की वह सैनिक ऐसी हालत में हैं की वह ना तो कुछ सुन सकता हैं, ना देख सकता हैं और ना ही कुछ बोल सकता हैं | प्रिंस फिर भी उससे मिलने गए | उन्होंने उसके हाथ पर हाथ रखा | जो बात वो मुंह से कहते उसे उन्होंने अपने स्पर्श से कहा | वीरो के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाते हुए उन्होंने उसके ज़ख्मी हाथ कों चूमा और गीली आँखे लिए हुए बाहर आ गए |


Tags: Reverence for Real Heroes, Respect for Soldiers, Army Soldiers, True Heroes